नयी दिल्ली,क़ौमी रिपोर्टर:प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा -ए-हिंद (महमूद मदनी समूह) के प्रमुख मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का शुक्रवार को गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में कोविड-19 की जटिलताओं के कारण इंतकाल हो गया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बताया कि मंसूरपुरी दारूल उलूम देवबंद मदरसे के सबसे वरिष्ठ शिक्षकों में शामिल थे।
संगठन ने एक बयान में बताया कि 76 वर्षीय मसूंरपुरी ने 2008 में आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी करने में अहम किरदार निभाया था और फिर पूरे देश में आतंकवाद विरोधी आंदोलन की अगुवाई की थी।
बयान के मुताबिक, वह हिंदू-मुस्लिम एकता के बड़े हिमायती थे और उन्होंने दोनों समुदायों के प्रभावशाली नेताओं को एक साथ लाने के लिए जमीयत के तत्वावधान में ‘सद्भावना मंच’ भी बनाया था।
उसमें बताया गया है कि 12 अगस्त 1944 को जन्मे मंसूरपुरी 2008 से जमीयत उलेमा-ए-हिंद (महमूद मदनी समूह) के अध्यक्ष थे। उनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में स्थित मंसूरपुर के नवाब खानदान से था।
संगठन ने बताया कि उन्हें 2010 में इमारत-ए-शरीयत के बैनर तले अमीर-उल-हिंद भी चुना गया था।
संगठन ने बताया, ‘मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का शुक्रवार कोविड-19 की जटिलताओं के कारण गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में इंतकाल हो गया है।उन्हें 19 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बयान के मुताबिक, जमीयत महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मौलाना मंसूरपुरी का इंतकाल विशेष रूप से उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है और उन्होंने अपने एक गुरु, शिक्षक और संरक्षक को खो दिया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद में दो समूह हैं, जिसमें एक की अगुवाई मौलाना मंसूरपुरी कर रहे थे जबकि दूसरे समूह के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हैं।